आज मेरा आँगन महका
आज मेरा आँगन महका लेखक... फौज़िया अफ़ज़ाल (फ़िज़ा) ... आज घर में बड़ी चहल पहल थी। सबकी आवाज़ें सुनाई पड़ रही थी। मेरी बेटियां मुझे आवाज़ दें रही थी। मेरे बेटो की खनकदार आवाज़ मुझे बार बार मां कह कर पुकार रही थीं। उनके बाबू जी की भरी-भरी आवाज़ मुझे कह रही थी तुम उठ जाओ उठती क्यों नहीं? और मैने कोशिश की उ…